Top 10 Best Places To Visit Chittorgarh,Rajasthan in Hindi
Alauddin Khilji |
1303 में अलाउद्दीन खिलजी ने राजा रत्न सिंह को प्राजित किया | 1535 में गुजरात के सुलतान बहादुर शाह ने विक्रमजीत को पराजित किया और 1566 में अकबर ने महाराणा उड़ाई सिंह को प्राजित किया | जिन्होनो इस किले को छोड़ कर उदयपुर की स्थापना की | लेकिन तीनो समय में राजपूत सैनिको ने जी जान से लड़ाई की महल को और राज को बचाने के लिए हर संभव कोशिश की लकिन हर बार हार का सहमना करना पड़ता था चित्तौरगढ़ किले के युद्ध में सैनिको के प्राजित होने के बाद राजपूत सैनिको की तकरीबन 16000 से भी ज्यादा महिलाओ और बच्चो ने जौहर कर दिया | Top 10 Best Places To Visit Chittorgarh,Rajasthan
अपने प्राणो का बलिदान दे के सबसे पहले राजा जौहर राजा रतन सिंह की पत्नी रानी पद्मनी ने किया उसके पसती 1303 के युद्ध में मारे गए थे बाद में 1537 में रानी कर्णावती ने जौहर किया | यहाँ किला राष्ट्र के लिए हिमत , मध्य कालीन वीरता का प्रतीक है | 16 शताब्दी में सिसोदिया और उनकी महिलाओ और उनके बच्चो का का राज्य के प्रति बलिदान देने का का सबसे बड़ा उदहारण है | राजपूत शासन सैनिक , महिलाए और स्थानीय लोग मुग़ल सेना को सरेंडर की वजय लड़ते - लड़ते प्राणो की आहुति दे दी |
2013 के कोलंबिया के पनोम हरिटेज कमिटी के 37 वे सेशन में चित्तौरगढ़ किले के साथ ही पांच और स्थान को वर्ल्ड हेरिटेज के सिघ्त में शामिल किया गया | चित्तौरगढ़ किले का निर्माण 7 वी शताब्दी में मौर्य के शाशन काल में हुआ | चित्तौरगढ़ किला 834 सालो तक मेवाड़ की राजधानी रह चूका था | इसकी स्थापना 734 में सिसोदिया वंश ने शाशक बप्पा रावल ने की थी | कहा जाता है की 8 शताब्दी में सोलंकी रानी ने दहेज़ के रूप में बप्पा रावल को दिया था | 1303 में अलाउदीन खिलजी ने किले को घेर लिया |
Tower Of Fame विजय स्तंभ
Kirti Stambha |
Rana kumbha palace in Chittorgarh
राणा कुम्भा एक ऎतिहासिक स्मारक है जहा राजपूत महाराजा राणा कुम्भा ने अपना शाही जीवन बिताया था | भारत के बहतरीन सर्वरचनाओ में से एक है , यह किला 15 शताब्दी में बनकर तैयार हो गया था यह राजपूत वास्तुकला का प्रतिक है और पर्यटकों के बीच बहुत प्रसिद्ध है | ऐसा मन जाता है की स्थान में कई भूमिगत कोठिया भी ै जहा रानी पद्मिनी ने प्रांत की महिलाओ के साथ जोहर किया था | इस महल के पास एक प्राचीन मंदिर है,जो भगवन शिव को समर्पित है |
Rana kumbha Palace |
Maha Sati
महासती एक पवित्र स्थल है शाशको का दाह संस्कार किया जाता था इस स्थान का मुख्य आकर्षण गांगोदभव कुंड है ,एक प्राकृतिक जलाशय है | ऐसा कहा जाता है यह जलाशय गंगा नदी के एक सहायक नदी से सहायक नदी से बनाहै | इस कुंड का पानी गंगा नदी जितना पवित्र है |
Maha Sati |
Gaumukh Kund
गौ मुख राजस्थान के प्रसिद्ध चित्तौड़गढ़ क़िले पश्चिमी भाग में स्थित पवित्र जलाशय है | गौमुख का वास्तविक अर्थ गाए का मुख होता है इस कुंड को चित्तौरगढ़ का तीर्थ राज के नाम से भी जाना जाता है | इस कुंड के जल को पवित्र माना जाता है | जब भी तीर्थ यात्रियों और भगत विभिन्न हिन्दू इस स्थान पर आते है तो चित्तौरगढ़ में अपनी पवित्र यात्रा को पूरा होने के लिए गौमुख कुंड जरूर आते है , अपनी यात्रा को पूरा करते है |
Gaumukh |
Fateh Prakash Palace
इस महल का निर्माण राणा फतेह सिंह के शासनकाल के दौरान किया गया था। यह चित्तौड़गढ़ किले के भीतर स्थित है। महल में राणा का निवास हुआ करता था। Rana Fateh Singh का इरादा इस रचना के माध्यम से कला और संस्कृति के प्रति अपने झुकाव का प्रदर्शन करना था। चित्तौड़गढ़ स्वर्णिम चतुर्भुज राजमार्ग प्रणाली पर स्थित है।Top 10 Best Places To Visit Chittorgarh,Rajasthan
Fateh Prakash Palace |
वास्तुकला
महल राजस्थानी शैली में निर्मित कई गलियारों और स्तंभों से सजाई गई है। इसे खूबसूरती से भित्ति चित्रण के साथ सजाया गया है जो राजस्थान से 17 वें स्थान पर है , और 19 प्रतिशत। 1968 में Rana Fateh Singh पैलेस के एक बड़े हिस्से को संग्रहालय में बदल दिया गया था।
Fateh Prakash Palace Museum |
Meera Mandir
मीरा मंदिर मीरा बाई जो एक राजपूत राजकुमारी थी से ज़ुरा हुआ एक धार्मिक स्थल है | उन्होने राजसी जीवन की सभी विलसताओ को त्याग करके श्री कृष्णकी भगति में अपना जीवन व्यतीत किया | मीरा बाई ने अपना सारा जीवन श्री कृष्ण के भजन और गीत गाने में व्यतीत कर दिया | मीरा मंदिर राजपुताना शैली और वस्तु कला का एक उत्क्रिस्ट नमूना है | यह कुम्भा श्याम मंदिर के निकट स्थित है | इस मंदिर में मीरा बाई भगवान श्री कृष्ण के के प्रभावशाली और जीवन चित्र मंदिर के अंदरूनी भाग को सजाते है | Top 10 Best Places To Visit Chittorgarh,Rajasthan मंदिर चित्तौड़गढ़ में सबसे लोकप्रिय मंदिरों में से एक है और यहां रोजाना कई पर्यटक आते हैं। जैसे-जैसे पर्यटन के क्षेत्र में संरक्षित की लोकप्रियता बढ़ रही है, लोग इस अद्भुत मंदिर के बारे में अधिक से अधिक जागरूक हो रहे हैं। यह मंदिर कोई नियमित मंदिर नहीं है।
Meera Mandir |
यह मंदिर भगवान कृष्ण के भक्त - मीरा बाई के नाम पर समर्पित और नामांकित है - जिनके बारे में माना जाता है कि उन्होंने अपना पूरा जीवन प्रेम और कीर्ति में बिताया है।
Maharani Padmini Palace
पद्मिनी पैलेस राजस्थान के बहुत सारे खूबसूरत पर्यटन स्थलों में से एक है | यह महल देखने में ही बहुत सुंदर संरचना है | यहाँ पर मेवाड़ के शाशक रावल रतन सिंह ने पद्मिनी से शादी की यह महल चित्तोरगढ किले के पास ही यह तीन मंजिला सफेद इमारत 19 वीं शताब्दी में बनाई गई थी, और यह किले के दक्षिणी भाग में स्थित है। जल निकायों के बीच स्थित, यह वह जगह है जहां अलादीन को महाराणा रतन सिंह की पत्नी रानी पद्मिनी की दर्पण छवि को देखने की अनुमति दी गई थी | यह व्यापक रूप से माना जाता है कि अलादीन को पद्मिनी की सुंदरता से प्रेरित किया गया था और उसे जीतने की इच्छा ने उसे चित्तौड़ को नष्ट करने के लिए मना लिया। जिस लड़ाई में, महाराणा रतन सिंह मारे गए और रानी पद्मिनी ने जौहर किया। रानी पद्मिनी की सुंदरता की तुलना क्लियोपेट्रा से की जाती है और उनकी जीवन कहानी चित्तौड़ के इतिहास की एक शाश्वत कथा है।
यहाँ आने का समय
अगर आप भी चित्तोरगढ़ आना चाहे तो आप Padmini Palace जरूर घूमने आए |
6:00 सुबह से 6:00 बजे तक, सभी दिन खुला रहता है |
Kalika Mata Temple
चित्तौड़ में 8 वीं शताब्दी में निर्मित कलिका माता मंदिर क्षेत्र के सबसे पुराने मंदिरो में से एक माना जाता है | सिसोदिया राजवंश के राजा बाप्पा रावल ने एक सूर्य मंदिर के रूप में इस मंदिर का निर्माण करवाया था | 14 वीं शताब्दी महाराणा हमीर सिंह ने मंदिर में कलिका माता की मूर्ति को स्थापित किया | तब से यह मंदिर कलिका माता के नाम से प्रसिद्ध हो गया | देवी दुर्गा के अवतार कालिका के लिए एक धर्मस्थल में संशोधित होने से पहले सूर्य देव की पूजा के लिए समर्पित था। यह मंदिर चित्तौड़गढ़ में सबसे महत्वपूर्ण तीर्थ स्थलों में से एक है, और चित्तौड़गढ़ किले के मैदान का दौरा करते समय इसे याद नहीं करना चाहिए और चित्तौड़गढ़ में घूमने के लिए सबसे अच्छे स्थानों में से एक है। देवी कलिका वीरता और शक्ति का प्रतीक है |
Kalika Mata Temple |
मंदिर की वास्तुकला इसके बिल्डरों की भक्ति को दर्शाती है- मंदिर की प्राचीन दीवारों को सजाने वाली जटिल नक्काशी और अलंकरणों में बहुत मेहनत की गई है। भले ही यह आंशिक रूप से खंडहर में है, लेकिन मंदिर की सुंदरता अभी भी चमक रही है। इस मंदिर को चित्तौरगढ़ का रक्षा कब्ज भी माना जाता है | आपको केवल किले के लिए प्रवेश मूल्य का भुगतान करने की आवश्यकता है।
यहाँ आने का समय:
सुबह 9:30 से शाम 6:30 तक।
Johar palace
राजस्थान में कई किले है जिसे देखने के लिए दूर दूर से के पर्यटक आते है | कहा जाता है की यहाँ इस किले के पीछे कोई इस्तिहस जुड़ा हुआ है | ऐसा ही एक किला चित्तौरगढ़ में है जिसकी सुंदरता देखने के लिए देश विदेशो से लोग आते है,इस किले में कई ऐसी अद्भुत चीजे है जिसे सैलानी बड़े चाओ से देखते है लकिन इस किले में एक ऐसा भी हिस्सा है जहा कोई भी जाने की हिम्मत ही नहीं जुटा पाता है , वह जगह है इस किले का जोहर कुंड जहा जाने की किसी में हिम्मत नहीं होती है अगर कोई कोशिस भी करता है तो असफल हो जाता है |
Johar palace |
जोहर कुंड का रहस्य -
इतिहासकारो के मुताबिक जोहर कुंड को हम भूतिया , नकारात्मक शक्तियो से युक्त माना गया है | इसके पीछे एक बड़ी कहानी है - जो की प्यार , दुश्मनी और एक बड़े बगेदर जो की दासता को बया करता है | अपनी ख़ूबसूरती के लिए जाना जाता है यह किला ,चित्तौरगढ़ का किला अपनी ख़ूबसूरती और भव्यता के लिए जाना जाता है साथ में यह किला रानी पद्मिनी के बलिदान से भी जाना जाता है |
राजा गंधर्व सिंह और चमावती की बेटी पद्मिनी चित्तौरगढ़ की रानी थी बचपन से ही उनकी तेज और खूबसूरती के चर्चे हर तरफ होते थे | उनका विवाह राजा रतन सिंह के साथ हुआ था राजा रतन सिंह बहुत बड़े शूरवीर योद्धा थे जिनकी पहले से ही 14 रानिया थी ,अलाउदीन की पड़ी बुरी नज़र |
काफी समय बादशाह पहले अलाउदीन ने भारत पर हमला किया तो उस दौरान उसकी बुरी नज़र रानी पद्मिनी पर पड़ी , और वह उनसे विवाह करना चाहता था | उसने युद्ध करने का फैसला किया , युद्ध होने के बाद राजा रतन सिंह प्राजित हो गए और जब यह खबर रानी पद्मिनी को मिली तो वह अलाउदीन खिलजी से शादी करने के वजाए आत्महत्या करने की सोची |
महल के काफी गहराई में बनी जोहर कुंड में बाकी रानियों और सैनिको की पद्मिनियों के साथ पहुँच गई | जोहर कुंड में रानी पद्मिनी के साथ सभी लोग वहाँ पहुचने से पहले सभी लोगो ने स्नान किया और फिर सभी लोग एक साथ जोहर कुंड में कूद गए | इतिहासकारो के अनुसार इस कुंड में रानी पद्मिनी ही कूदी थी | जिसके बाद बाकी की रनिया और शहीद हुए सैनिको की पत्निया उस जोहर कुंड में कूद पड़ी | जब खिलजी की सेना ने किले का द्वार तो के अंदर आई तो उन्हें सिर्फ चीखने की आवाज सुनाई दी | लेकिन उस कुंड तक कोई भी नहीं जा सका क्युकि वह से अग्नि की तेज लपटे आ रही थी | तभी से शुरू हुई जोहर प्रथा , रानी पद्मिनी के बलिदान के बाद से ही राजस्थान मे जोहर प्रथा शुरू हो गई | यह प्रथा भी सति प्रथा की तरह ही थी , यह रथा तब की जाती थी जब कोई राजा युद्ध में शहीद हो जाता था | जिसके बाद अपनी आनमान एवं सम्मान को बचाने के लिए स्त्रिया खुद को निरछरवर कर देती थी | Top 10 Best Places To Visit in Chittorgarh,Rajasthan
आज भी कोई इस कुंड के पास नहीं जाता चित्तौरगढ़ के किले में हर रोज़ काफी पर्यटक जाते है लकिन इस कुंड के पास कोई नहीं जाता | कहा जाता है की जिस जोहर कुंड में रानी पद्मिनी अपना बलिदान दिया था वहाँ जाने का रास्ता काफी अँधेरे से होके गुजरता है , इतना ही ही नहीं कहा जाता है की इस कुंड में से आज भी अग्नि की गंध महज महसूस की जा सकती है | इस स्थान को नकरात्मक शक्तियों से मक्त मन गया है ,जिसके कारण यहाँ कोई जाने की हिम्मत नहीं करता और अगर कोई कोशिश करता भी है तो असफल हो जाता है |
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