Best Places to visit Jaipur in Rajasthan| History | Tourist Place India in Hindi
1 . Birla Mandir | बिड़ला मंदिरो
Best Places to visit Jaipur in Rajasthan| History | Tourist Place India in Hindi जयपुर के अन्य पर्यटन स्थलों में से एक है | भारत में स्थित के कई बिड़ला मंदिरो में से एक है हिस्सा है जयपुर का बिड़ला मंदिर | यह मोती डूंगरी पहाड़ पर स्थित है | जयपुर के बिड़ला मंदिर को " लक्ष्मी नारायण " मंदिर से भी जाना जाता है , यह मंदिर भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी को समर्पित है | सफेद संगममर से बना हुआ यह मंदिर दूर से ही श्रद्धालुओं को अपनी ओर आकर्षित करता है| Best Places to visit Jaipur in Rajasthan| History | Tourist Place India in Hindi
Birla Mandir |
When was the Birla temple built and completed ? | बिड़ला मंदिर कब बना और कब पूरा हुआ ?
जयपुर के बिड़ला मंदिर का निर्माण दिसंबर 1985 में शुरू हुआ और 1988 में बन के तैयार हो गया | यह मंदिर श्रद्धालुओं को बहुत सारे पर्यटकों को अपनी तरफ आकर्षित करता है | बिड़ला मंदिर के अंदर अनेक प्रकार के देवी देवताओ की मुर्तिया विराजमान है | मंदिर के चारो ओर परिक्रमा पद बना हुआ है , यहाँ ऐतिहासिक पुराणानिक घटनाओ का चित्रात्मक उल्लेख है | Best Places to visit Jaipur in Rajasthan| History | Tourist Place India in Hindi
Morning Arti at Birla Temple | बिड़ला मंदिर में सुबह की आरती
मंदिर के सुबह 6 : 00 बजे कपाट मंगला आरती के साथ खुल जाती है , उसके बाद श्रीनगर आरती और उसके बाद राजभोग आरती होती है | फिर शाम को सांध्य आरती , शयन आरती आरती होती है | मौसम बदलते ही एक और आधे घण्टे का फर्क हो जाता है | जयपुर का यह देश भर म बने मंदिरो में से एक है |
Best time to visit Birla Mandir | बिड़ला मंदिर जाने का सही समय
मार्च गर्मियों में सुबह 6 : 00 बजे से ले के दोपहर 12 : 00 और शाम 2 :00 बजे से 3 : 00 बजे तक खुला रहता है , वही सर्दियों मे दिसंबर से फरवरी में सुबह 6 : 30 से दोपहर 12 : 30 बजे तक खुला रहता है और शाम 3 :30 बजे से रात 8 : 30 बजे तक खुला रहता है |
2 . Albert Hall Museum
अल्बर्ट हॉल म्यूजियम जयपुर ही नहीं राजस्थान के प्रमुख अभिलेखागार म्यूजियम में से एक है | यह जयपुर का एक है , इसे सेंट्रल म्यूजियम के नाम से जाना जाता है | सबसे पहले बात करते है अल्बर्ट हॉल म्यूजियम के इतिहास के बारे में :
When and who laid the foundation of the Albert Hall Museum | अल्बर्ट हॉल म्यूजियम की नींव कब और किसने रखी
अल्बर्ट हॉल म्यूजियम की नीव 6 फरवरी 1876 को रखी गई दरासल ब्रिटेन से राजकुमार अल्बर्ट एडवर्ड जयपुर आए उनके सामान स्वरूप इस म्यूजियम की नीव राखी गई | इस म्यूजियम को बनने में पुरे 11 साल लग गए यानि की 1877 में यही म्यूजियम बन के तैयार हो गया | उस समय पीडब्ल्यूडी के निदर्शक सैमुअल स्विंटन जैकेब इन्होने ने ही इस शानदार भवन का निर्माण करवाया | Best Places to visit Jaipur in Rajasthan| History | Tourist Place India in Hindi अल्बर्ट हॉल ने ही भारत में अरबी और भारत की वास्तुकला की मिश्रर्ण का एक नमूना है , यही कारण है कि यह कई माइनो में विशेष है |
How and who built Albert Hall | अल्बर्ट हॉल कैसे और किसने बनवाया था
शुरू में यह बिकुल भी नहीं था कि इस भवन का निर्माण कैसे होगा | इतिहासकारो के अनुसार जयपुर के महाराजा जय सिंह चाहते थे कि यहाँ एक टाउन हॉल बने लेकिन डॉ.थॉमस हेंडले ने यहाँ एक उद्योगिक संग्रहालय बनवाने का सलाह दिया और उसी के अनुरूप एक छोटा - मोटा संग्रहालय शुरू किया गया | इसे राजस्थान का सबसे पुराणा म्यूजियम भी कहा जाता है | यह अपनी खास बनावट विशेष संग्रहण के लिए दुनिया भर में चर्चित है | अप्रैल 2007 से जून 2008 के दौरान लगभग एक साल इस अल्बर्ट हॉल का जन्मधार किया गया | इस भवन को ध्यान में रखते हुए बहुत सारे बदलाव किया गया | Best Places to visit Jaipur in Rajasthan| History | Tourist Place India in Hindi
अल्बर्ट हॉल की खास बात यही है कि ऐतिहासिक कालीनों , सिक्को ,परंपराधिक यंत्रो , वेश भूषाओ ,आभूषणों ,बर्तनो को ही नहीं दिखाया गया है | बल्कि इतिहास के पन्नो में कुभे अनेक तथो को भी प्रमाणिक रूप से दिखाया गया है चाहे वह सदियों पुरनी प्रतिमाए हो या मिस्र मम्मी हो |
इस हॉल में मिट्टी के बर्तनो को अच्छी तरह से संभाल के रखा गया है | इस हॉल में बेसमेंट में यानि की ऊपर मिस्र से लाई ,गई मम्मी राखी गई है कहा जाता है इस मम्मी को 150 साल पहले जयपुर में लाया गया था | यह लगभग 2500 साल पुरानी है |
The question is how to reach Albert Hall : सवाल यह है कि अल्बर्ट हॉल पहुँचा कैसे जाए
अल्बर्ट हॉल जयपुर के विख्यात जवाहर लाल नेहरू के मार्ग के एक सिरे पर है रामनिवास बाग में है नज़दीकी बस अड्डा राम निवास बाग़ ही है | बस के इलावा ऑटो और टैक्सी द्वारा भी यहाँ पहुंचा जा सकता है | Best Places to visit Jaipur in Rajasthan| History | Tourist Place India in Hindi
Perfect time to visit the museum ; म्यूजियम जाने का सही समय
म्यूजियम जाने का सही समय अप्रैल से सितम्बर के दौरान हर सोमवार को बंद रहता है , वही ऑक्टूबर से मार्च के दौरान हर मंगलवार को यहाँ बंद रहता है | म्यूजियम सुबह 9 : 00 बजे से शाम 5 :00 बजे और शाम को 7 :00 बजे से रात 10 :00 बजे तक खुला रहता है | आप शाम के समय में अल्बर्ट हॉल को रौशनी में चमकता हुआ देख सकते है | इस हॉल की टिकट 40 और 100 रुपए है | आप जब कभी भी जयपुर आए तो आप इसे जरूर देखे |
3 .जयपुर का पत्रिका गेट
पत्रिका गेट का उद्घाटन खुद प्रधानमंत्री ने किया था | हालही में हमारे प्रधान मंत्री जी ने एक वर्चुअल समारोह में नेहरू रोड पर स्थित पत्रिका गेट का उद्घाटन किया है | पत्रिका गेट जयपुर सीटी का नोवा गेट है , और राजस्थानी सांस्कृतिक कला का एक उत्कृष्ट नमूना है |
आप लोग सोच रही होंगे इसमें ऐसी क्या खास बात है ?
खास है नोवा नो गेट
जयपुर का और नो नं गेट का काफी पुराना और गहरा नाता रहा है | जयपुर सिटी को वास्तु के नियमो के अनुसार योजना बनाई गई थी इसी लिए इसको नो अलग ब्लॉग में भाग किया गया था और वाणिज्यिक दुकान को भी नो भाग में ही बनाया गया था | भारतीय संस्कृति में नो अंक को बहुत ही शुभ मना जाता है , जैसे कि नो गृह नो देविया , नवरात्रा आदि इसी नो नंबर के वास्तु का ख्याल जयपुर का नोवा गेट पत्रिका गेट को बनाते वक़्त रखा गया है |
पत्रिका गेट की लम्बाई 108 फिट है इसके अंको का योग इसके अंको का योग नो आता है और इसकी चौड़ाई 81 फिट है इसके अंको का योग इसके अंको का योग नो ही आता है | यह पत्रिका गेट जयपुर के इतिहास को अपने आप में समेटे हुए है | इसपर आपको जलमहल , हवा महल , सिटी और आमिर फोर्ट बेहद ख़ूबसूरती के साथ पिरोई हुए दिख जाएगी | यह कहना गलत नहीं होगा कि यह हमारी शान को बढ़ाता है जैसे की दिल्ली का इंडिया गेट और Gate Way Of India मुंबई की शान बढ़ाता है |
4 . Jal Mahal Jaipur The Capital of Rajasthan in India | जल महल जयपुर भारत में राजस्थान की राजधानी
Best Places to visit Jaipur in Rajasthan| History | Tourist Place India in Hindi जल महल भारत के राजस्थान की राजधानी जयपुर मान सागर सरोवर के मध्य में बना है | 18 वी शताब्दी में आमेर के महाराजा जय सिंह द्वितीय पैलेस और जल महल का निर्माण किया | जलमहल आमेर मार्ग पर स्थित यह महल राजा ने अपनी रानियों के साथ स्नान करने के लिए और इस महल का निर्माण राजा ने अपनी रानियों साथ वक़्त बिताने के लिए बनवाया था जल महल आँखों को भाने वाले मनमोहक रूप में बनाया गया है | तपते रेगिस्तान के बिच इस महल में गर्मी नहीं लगती थी क्योकि यह महल पानी बना है |
दुर्भाग्य की बात यह रहेगी की दो सो साल तक इस पर ध्यान नहीं दिया गया इसे पूरी तरह से नजरअंदाज किया गया जिसके चलते दीवारों पर पानी की वजह से दरारे आने लगी और जब इस महल पर ध्यान दिया गया तब सबसे बरी चुनौती यही थी की दीवारों को दुबारा से कैसे ठीक करके बनाया जाए | इस महल की ज़िम्मेवारी भारती और इंटरनेशनल आर्किटेक्चर ने ली |
पहले बार पब्लिक प्राइवेट सेक्टर ने इस राजस्थान की धरोहर को ठीक करने के लिए हाथ मिलाया | जल महल का काफी गन्दा हो चूका था | इस महल को पहले जैसा बनाने में 6 साल लग गया और इसे पहले जैसा सुंदर दिया गया | अगर आप जयपुर आए तो जल महल को पास से जरूर देखे |
इस महल के अंदर बहुत सारे सुधार किए गए है इस महल में बहुत सारे पेड़ लगे हुए हो दिन भी 40 माली इन पड़ो की देख भाल करते है | इस महल से पहाड़ और झीलों का बहुत खूबसूरत नज़ारा देखने को मिलता है | चांदनी रात में इस महल को को देखने में बहुत सुन्दर लगता है , इस महल में कोई विश्राम कक्ष नहीं है परन्तु यहाँ बहुत सारे बगीचे है जहा पर्यटक घूमते है | पर्यटक को यहाँ आना मना नहीं है ,वह यहाँ सकते और बोटिंग करके महल में जा सकते है |
यह मंदिर रात के समय देखने में काफी सुन्दर लगता है | यह जगह पहले पानी को इकठा करने के लिए किया जाता था 1596 में इस जगह पर पानी का आकाल पड़ा था | इस महल को आई बॉल भी कहा जाता है और इस महल को रोमांटिक महल के महल के नाम सी भी जाना जाता है |
5 .History of Hawa Mehal Jaipur The Capital of Rajasthan in India
Best Places to visit Jaipur in Rajasthan| History | Tourist Place India in Hindi हवा महल का मतलब है हवाओ की एक जगहें यह एक ऐसी अनोखी जगह है जो से ठंडी रहती है हवा महल को साल 1799 में महाराज सवाई प्रताप सिंह और बहार से देखने में किसी मधुमखी के छते के सामान दिखता है | इस हवा महल में 953 छोटी खिड़किया है जिसमें ठंडी और ताज़ी हवा आती रहती है , हवा महल जो अपनी ख़ूबसूरती खासियत के कारण पुरे पुरे दुनिया भर में मशहूर है |
ज्यादा खास है हवा महल की डिज़ाइन महाराजा सवाई प्रताप सिंह इस महल को बनवाने का मन हुआ तो उन्होने वस्तुकार लाल चंद उस्ताद को बुलाया उन्होने ने ही इस महल का डिज़ाइन किया , इस महल का डिज़ाइन हिन्दू धर्म के भगवान श्री कृष्ण के मुकट जैसी बनी थी ऐसा बाहर से देखने में लगता है और ऊपर की मंजिल के लिए कोई सीढ़ी नहीं है |
पांच मंजिला हवा महल को इस तरह बनाया गया है की ऊपर की मंजिल की तरफ जाने के लिए कोई सीढ़ी नहीं है | इस महल का निर्माण लाल और गुलाबी बालुआ पत्थर और चुने से निर्मत है यह महल जयपुर के ह्रदयस्थल में मुख्य मार्ग पर स्थित है | इसे पिंक सिटी के नाम से भी जाना जाता है |
क्यों बना हवा महल
बिना किसी नीव की इमारत
आप यह जान के बहुत ज्यादा हैरान होंगे की यह जो ईमारत बानी है यह ईमारत बिना किसी नींव की बनाई गई है जो की अपने आप में एक अजूबा है यह दुनिया की सबसे बड़ी बिना नींव की इमारत मानी जाती है पांच मंजिला होने की वजह से यह 87 डिग्री कोण में बनी हुई है जो एक आश्चर्या है हवा महल सबसे ज्यादा अपनी संस्कृति की वजह से मशहूर है | राजपूत और मुग़ल कला का बेजोड़ नमूना है |
मधुमखी के छते जैसी आकृति
इस महल में 953 खिड़किया है जिन्हे झरोखा कहा जाता है कितनी भी गर्मी क्यू ना पड़े तब भी या महल ठंडा रहता है | इस महल में छोटी बड़ी खिड़की है जिन्हे झरोखा कहा जाता है जालियो को लगाने के पीछे यही मकसद था की पर्दा प्रथा का पालन भी हो सके , और इन जालियो द्वारा हवा का संचार होता रहे जिस कारण यहाँ का वातावरण वातानुकूलित रहता है इसलिए इस महल को नाम हवा महल से जाना जाता है |
6 . History of city Palace The Capital of Rajasthan in India
सिटी पैलेस राजस्थान को भारत का टूरिस्ट कैपिटल कहा जाए इसमें कोई गलत नहीं है | विदेशो से आने वाले पर्यटक जरूर आते है | Best Places to visit Jaipur in Rajasthan| History | Tourist Place India in Hindi जयपुर आने की सबसे बड़ी वजह है जयपुर का दिल कहे जाने वाले सिटी पैलेस को ,जिसे बनवाया था जयपुर के महाराजा सवाई जय सिंह जी ने 1729 से 1732 के दौरान आमेर में जब आबादी बढ़ी और पिने के पानी की किलत होने लगी तो महाराजा जय सिंह जी ने अपनी राजधानी सं 1727 में आमेर से 11 किमी की दुरी पर उन्होने स्थापित की जहा वह शिकार खेलने जाते थे और उस जगह का नाम रखा जयपुर | महाराजा सवाई जय सिंह जी ने वहाँ रहने के लिए एक बहुत शानदार महल का निर्माण करवाया जिसे आज हम सिटी पैलेस के नाम से जानते है |
महाराजा भवानी सिंह इस महल के अंतिम सरप्रस्त थे उनका कोई बेटा नहीं था उन्होने अपनी बेटी दिया कुमारी के सुपुत्र राज कुमार पद्मनाभ सिंह को यह विरासत सौंपी गई 20 साल के पद्मनाभ सिंह इस विरासत के इकलोते वारिस है | जयपुर के तत्काल एक राजा पद्मनाभ सिंह जी की जीवन शैली बहुत अलग है | पद्मनाभ सिंह एक मॉडल , पोलो खिलाडी , ट्रैवलर है | बात घूमने की आती है तब वह घूमने में अधिक खर्चा करते है | विद्याधर भट्टाचार्य और सर सैमुअल स्विंटन जैकब जी ने डिज़ाइन किया था | इसी लिए इसमें राजस्थानी , मुग़ल या युओपीएन निर्माण शैली का मिश्रण दिखाई देता है | इस महल में कई परमदे और महल बने है |
विद्याधर भट्टाचार्य और सर सैमुअल स्विंटन जैकब ने इस महल को डिज़ाइन किया था इस महल के निर्माण में 3 साल लग गए | इस महल में राजस्थानी मुग़ल और यूरोपीयन निर्माण शैली का मिश्रण दिखाइ देता है | यह महल लाल और गुलाबी सेंडस्टोन से निर्मित है , इस महल के दीवारों पर की गई बारीक कटाई और दीवारों पर की गई चित्रकारी मन मोह लेती है |
मुख्य महल है : -Chandar Mahal ,Mubarak Mahal ,Mukut Mahal ,Maharani Palace, Gobind Dev ji Mandir, City palace Museum . इस महल के अंदर जाने के लिए तीन मुख्य प्रवेश द्वार है : वीरेंद्र पोल ,उदय पोल, त्रिपोल गेट है | इस महल में पर्यटक केवल वीरेंद्र पोल और उदय पोल गेट से ही प्रवेश कर सकते है जबकि त्रिपोल गेट से केवल शाही परिवार के सदस्यों को ही आने की अनुमति है | इस महल में प्रीतम निवास ,दीवाने आम ,दीवाने खास , महारानी महल गोविन्द देव जी मंदिर जो भगवन कृष्ण को समर्पित है |
इस महल को वर्तमान समय में जयपुर के राजा माधो सिंह को समर्पित करके एक संग्रहालय में प्रवर्तित कर दिया गया जिसमे बनारसी साड़ियों और कई प्राचीन शाही पोशाकों का प्रदर्शन किया गया है , यहाँ के संग्रहालय में हाथी दांत , तलवारे ,चैन ,बन्दुक, पिस्तौल , तोपे और Gun Powder के Pouch भी प्रदर्शन के लिए रखे गए है |
पर्यटकों के लिए सिटी पैलेस सप्ताह के सभी दिन सुबह के 9 :00 बजे शाम के 5 :00 बजे तक खुला रहता है | इस महल में भारतीयों के लिए 75 रूपए टिकट और विदेशियों के लिए 300 रूपए और बच्चो लिए केवल 40 रूपए है | पोटोग्राफी और वीडियो ग्राफी के लिए अतिरिक्त शूल्क देना पड़ता है |
7 . History of Amer Fort , History , image , The Capital of Rajasthan in India
Best Places to visit Jaipur in Rajasthan| History | Tourist Place India in Hindi Rajasthan का आमेर का किला प्राचीन कल का सबसे पुराना किला था | यह पैलेस लाल बलुआ से कारीगरी की गई है | यह पैलेस पुरे लाल बलुआ पत्थर से ही बना हुआ है | आमेर के किले को अम्बर का किला भी कहा जाता है | राजस्थान के जयपुर जिले से 11 किमी दूर बने इस किले का निर्माण आमेर शहर के मीणाओ के चन्दा वंश के राजा एलान सिंह द्वारा की गए थी | इस महल इस्तिहस कुछ इस तरह है यह किला राजस्थान के सभी किलो से बड़ा है | यह किला 4 वर्ग किमी में फैले इस किले का निर्माण 1558 में राजा भारमल ने शुरू करवाया था | बाद में इसको राजा जय सिंह और मान सिंह के शासन में इसे 1562 में भी जारी रहा करीब 100 साल तक के शासन के बाद जय सिंह सवाई के काल में पूरी तरह से बन के तैयार हो गया |
Red Sandstone |
महल में प्रवेश करते ही पहली चीज़ देखते हो वो है Dilaram Bagh - इस सुंदर बाग़ का निर्माण 18वी सदी में Maota झील के उत्तरी किनारे पर किया गया था | बाग़ में दोनों ओर स्थित छत्रिया पूर्वी और पश्चिमी छोर पर स्तंभों से युक्त आकर्षक होल , जलप्रवाह , मध्य में बना होज और कियारिया आदि बहुत अच्छे तरीके से बनाए गए थे यह जगह आकर्षण और सुकून दायक है | इसी लिए इस पैलेस का नाम दिला आराम बाघ रखा गया इस बाग़ के अंदर जाने से आपके मन और दिल दोनों को शांति मिलेगी | इस बाग़ में उत्तरी दिशा की और राम बाग़ है | Maota lake इससे पहले पुराने ज़माने में पैलेस में पानी की सप्लाई होती थी |
और जानवरो के द्वारा हाथी , घोड़ो आदि पर लाद कर महल में पानी लाया जाता था |12 किमी के पैदल रस्ते से यहाँ आते थे उस समय कोई वाहन भी उपलब्ध नहीं था | Maota झील देखने के लिए पर्यटकों सीढ़ियों का रास्ता बनाया हुआ है |
Maota झील के पास केसर केरी बाग़ है जिसमे केसर उगाने की कोशिश की गई थी क्योकि राजस्थान बहुत गर्म राज्य है जिस कारन वह नहीं उग पाया था अब इसमें सिर्फ तरह तरह के फूल उगे हुए है | पुराने समय में सेना और जनता आ जा सकती थी | इस महल में प्रवेश करते दो गेट है एक सूरज गेट दूसरा चाँद गेट है | इस महल में पुरानी तोपे राखी गई है जो 400 साल पुरानी है |
पहले यहाँ मीणाओ का राज हुआ करता था तकरीबन 700 सालो से राज किया करते थे | उनकी यह ख़ास बात थी की वह दिवाली के अवसर पर हथियार नहीं उठाते थे इसी का फ़ायदा राजपूतो ने उठाया और हमला कर दिया दिवाली वाले दिन | उसके बाद से राजपूतो का राज हो गया | इस पैलेस में 20 लाख से भी ज्यादा पर्यटक आते है |
8 . History of Chittorgarh Fort | History | image | The Capital of Rajasthan in India
चित्तौरगढ़ किला भारत के विशालतम किलो में से एक है यह एक विश्व विरासत दृष्टि ( world heritage sight ) भी है | चित्तौरगढ़ मेवाडाह की राजधानी के नाम से भी जाना जाता है | इस किले पर सिसोदिया का शासन काल था | चित्तौड़ी राजपूत के सूर्यवंशी वंश ने 7 वी शताब्दी से 1568 तक परित्याग करने तक शासन किया | 1568 में अकबर ने इस किले की घेरा बंदी की | यह किला 180 मीटर पहाड़ी की ऊंचाई पर बना हुआ है और 6919 एकर के क्षेत्र में फैला हुआ है | इस किले से जुड़ी बहुत सी ऐतिहासिक घटनाए है | यह स्मारक पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र है | 16 शताब्दी के बाद किले को तीन बार लुटा गया |
1303 में अलाउद्दीन खिलजी ने राजा रत्न सिंह को प्राजित किया | 1535 में गुजरात के सुलतान बहादुर शाह ने विक्रमजीत को पराजित किया और 1566 में अकबर ने महाराणा उड़ाई सिंह को प्राजित किया | जिन्होनो इस किले को छोड़ कर उदयपुर की स्थापना की | लेकिन तीनो समय में राजपूत सैनिको ने जी जान से लड़ाई की महल को और राज को बचाने के लिए हर संभव कोशिश की लकिन हर बार हार का सहमना करना पड़ता था चित्तौरगढ़ किले के युद्ध में सैनिको के प्राजित होने के बाद राजपूत सैनिको की तकरीबन 16000 से भी ज्यादा महिलाओ और बच्चो ने जौहर कर दिया |
अपने प्राणो का बलिदान दे के सबसे पहले राजा जौहर राजा रतन सिंह की पत्नी रानी पद्मनी ने किया उसके पसती 1303 के युद्ध में मारे गए थे बाद में 1537 में रानी कर्णावती ने जौहर किया | यहाँ किला राष्ट्र के लिए हिमत , मध्य कालीन वीरता का प्रतीक है | 16 शताब्दी में सिसोदिया और उनकी महिलाओ और उनके बच्चो का का राज्य के प्रति बलिदान देने का का सबसे बड़ा उदहारण है | राजपूत शासन सैनिक , महिलाए और स्थानीय लोग मुग़ल सेना को सरेंडर की वजय लड़ते - लड़ते प्राणो की आहुति दे दी | Best Places to visit Jaipur in Rajasthan| History | Tourist Place India in Hindi
2013 के कोलंबिया के पनोम हरिटेज कमिटी के 37 वे सेशन में चित्तौरगढ़ किले के साथ ही पांच और स्थान को वर्ल्ड हेरिटेज के सिघ्त में शामिल किया गया | चित्तौरगढ़ किले का निर्माण 7 वी शताब्दी में मौर्य के शाशन काल में हुआ | चित्तौरगढ़ किला 834 सालो तक मेवाड़ की राजधानी रह चूका था | इसकी स्थापना 734 में सिसोदिया वंश ने शाशक बप्पा रावल ने की थी | कहा जाता है की 8 शताब्दी में सोलंकी रानी ने दहेज़ के रूप में बप्पा रावल को दिया था | 1303 में अलाउदीन खिलजी ने किले को घेर लिया |
1534 में गुजरात के सुलतान बहादुर शाह ने किले को घेरा और 1566 में बादशाह अकबर ने किले पर आक्रमण किया | प्राचीन इतिहास में हमे यह किला वापरवाल से जुड़ा दिखाई देता है | 9 वी शताब्दी में जैमल पत्ता सरोवर के किनारे हमे छोटे छोटे बोधस्तु भी दिखाई देते है |
विजय स्तंभ
चित्तौरगढ़ का प्रतीक मना जाता है विशेष रूप से विजय का प्रतीक | इसका निर्माण 1448 और 1458 के बीच राणा कुम्भ ने 1440 में मालवा के सुल्तान मेहमूद शाह प्रथम खिलजी के खिलाफ जीत की ख़ुशी में किया |
युद्ध के तकरीबन 10 साल बाद इसके निर्माण की शुरुआत की | यह 37 मीटर ऊँचा और 47 वर्ग फिट आधार पर बना है | इसमें 157 सीढिया है यहाँ से चित्तौरगढ़ शहर का मनमोहक नज़ारा दिखाए देता है |
9. Bikaner Places to best Visit in Rajasthan
राजस्थान के उत्तरपश्चिम में स्थित बीकानेर पुराने समय में जंगलादेश ( Jangladesh ) के नाम से जाना जाता था | नेशनल कैपिटल सिटी दिल्ली से तकरीबन 425 किमी , स्टेट कैपिटल सिटी जयपुर से 335 किमी और ब्लू सिटी जयपुर से 250 किमी बसा हुआ है जो लॉक करता है अपनी सीमाओं को गंगा नगर ,हनुमानगढ , चूरू ,नागौर , जोधपुर , जैसलमेर और 168 किमी इंटरनेशनल बॉर्डर पाकिस्तान से | राजदोदा के पुत्र Rao Bika ने करणी माता के आशीर्वाद से 1488 ई में बीकानेर की नीव राखी और बीकानेर शहर को बसस के उसको अपनी राजधानी बनाई | 30247 किमी की दुरी में फैला यह बीकानेर राजस्थान का दूसरा सबसे बड़ा केंद्र है | Best Places to visit Jaipur in Rajasthan| History | Tourist Place India in Hindi
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